आज दिनांक 03 SEP 2023 को लॉन्च होने के बाद Aditya L1 मिशन लगभग 125 पृथ्वी दिनों तक चलने वाली यात्रा पर है।इसका गंतव्य L1 लैग्रेंज बिंदु को घेरने वाली हेलो कक्षा है, जो पृथ्वी से लगभग 1,500,000 किमी (930,000 मील) की दूरीपर स्थित है।अपने नियोजित मिशन अवधि के दौरान हेलो कक्षा में तैनात रहने के दौरान, अंतरिक्ष यान को प्रति वर्ष 0.2 से 4 मीटर/सेकेंड तक की न्यूनतम स्टेशनकीपिंग लागत की आवश्यकता होगी। यह 1,500 किलोग्राम (3,300 पाउंड) का उपग्रह सात अलग-अलग वैज्ञानिक पेलोड से सुसज्जित है, जिनमें से प्रत्येक का उद्देश्य अलगअलग है।
आदित्य-एल1 क्या है?
Aditya L1सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है ,लैग्रेंजियन बिंदु वे हैं जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं। इस वजह से एल1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ने के लिए किया जा सकता है। सूर्य का अध्ययन क्यों जरूरी है? आइए समझते हैं…
सूर्य का अध्ययन जरूरी क्यों?
सूर्य निकटतम तारा है और इसलिए अन्य तारों की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। इसरो के मुताबिक, सूर्य का अध्ययन करके हम अपनी आकाशगंगा के तारों के साथ-साथ कई अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ जान सकते हैं। सूर्य एक अत्यंत गतिशील तारा है जो हम जो देखते हैं उससे कहीं अधिक फैला हुआ है। इसमें कई विस्फोटकारी घटनाएं होती हैं इसके साथ ही सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा भी छोड़ता है।
यदि ऐसी विस्फोटक सौर घटना पृथ्वी की ओर भेजी जाती है तो यह पृथ्वी के नजदीकी अंतरिक्ष वातावरण में कई प्रकार की समस्याएं पैदा कर सकती है। कई अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियां ऐसी समस्याओं का शिकार बन चुकी हैं। लिहाजा पहले से ही सुधारात्मक उपाय करने के लिए ऐसी घटनाओं की प्रारंभिक चेतावनी अहम है।
इनके अलावा यदि कोई अंतरिक्ष यात्री सीधे ऐसी विस्फोटक घटनाओं के संपर्क में आता है तो वह जोखिम में पड़ सकता है। सूर्य पर कई तापीय और चुंबकीय घटनाएं घटती हैं जो प्रचंड प्रकृति की होती हैं। इस प्रकार सूर्य उन घटनाओं को समझने के लिए एक अच्छी प्राकृतिक प्रयोगशाला भी प्रदान करता है जिनका सीधे प्रयोगशाला में अध्ययन नहीं किया जा सकता है।
Aditya L1 मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
भारत का महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य एल-1 सौर कोरोना (सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग) की बनावट और इसके तपने की प्रक्रिया, इसके तापमान, सौर विस्फोट और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, वेग और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन (सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं) की उत्पत्ति, विकास और गति, सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेगा।
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https://www.isro.gov.in/Aditya_L1-MissionDetails.html