Father of Green Agriculture : डॉ. एमएस स्वामीनाथन
डॉ. एमएस स्वामीनाथन (M S Swaminathan) को “हरित क्रांति के जनक ” (Father of Green Agriculture) के रूप में जाना जाता है। वे भारतीय कृषि और हरित क्रांति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले भारतीय किसान और वैज्ञानिक थे। उन्होंने भारतीय कृषि को आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से सुधारने का काम किया।
डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 1921 में हुआ था, और उन्होंनेअपने कृषि और वैज्ञानिक करियर की शुरुआत सिर्फ एक छोटे से गांव से की थी। उन्होंने विभिन्न प्रकार के अनाजों की खेती में सुधार करने के लिए नई तकनीकों का अध्ययन किया और विशेष रूप से अक्षय धान की खेती के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया।
उन्होंने विशेष रूप से अक्षय धान की खेती के लिए “पैडी काप तकनीक” को विकसित किया, जिससे फसलों की उपज बढ़ गई और खेतीकरों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
उन्होंने 2006 में भारत सरकार से “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था। उनका योगदान भारतीय कृषि के विकास में अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है, और वे एक प्रमुख कृषि वैज्ञानिक के रूप में याद किए जाते हैं।
डॉ. एमएस स्वामीनाथन का निधन :
MS Swaminathan: हरित क्रांति के जनक का निधन आज दिनांक 29 सितम्बर को हो गया। महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में निधन हो गया।
प्रधान सेवक मोदी जी ने जताया शोक :
स्वामीनाथन के निधन की खबर सुनते ही पीएम मोदी भी दुखी हुए। पीएम ने कहा कि उन्होंने हमेशा देश के लिए काम किया और कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करते हुए हजारों लोगों की जिंदगी संवारी है ।
काफी लंबे समय से थे बीमार :
वैज्ञानिक स्वामीनाथन(MS Swaminathan Death) का निधन 98 साल की उम्र में लंबे समय से बीमार रहने के चलते हुआ। मशहूर कृषि वैज्ञानिक का काफी समय से उम्र संबंधी बीमारी का इलाज किया जा रहा था। स्वामीनाथन अपने पीछे तीन बेटियों को छोड़ गए हैं।
धान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका:
स्वामीनाथन ने देश में धान की फसल को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में बड़ा योगदान दिया था। इस पहल के चलते पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी मदद मिली थी।
कई प्रमुख पद संभाले थे :
स्वामीनाथन अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रमुख पदों पर काबिज रहे थे। वो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का निदेशक (1961-1972), आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव (1972-79), कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव (1979-80) नियुक्त किया गया था।स्वामीनाथन को 1987 में प्रथम खाद्य पुरस्कार दिया गया था। वो पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण तक से सम्मानित हो चुके है।