Attero :
दिल्ली के 200 एकड़ गाजीपुर,ओखला,भलसाहा इलाके के डंपिंग ग्राउंड में 25 मीटर से ऊंचा कूड़े का पहाड़ है। बीते कई दशकों से राजधानी के कई इलाकों में कूड़े का ढंग से निपटारा नहीं हो सका है। लेकिन, जब कूड़े से ही पैसा निकलने लगे तो फिर क्या कहना। बीते कई सालों से ऐसी कंपनियां उभरी हैं, जो कूड़े के निपटान के काम में लगी हैं और उससे मोटी कमाई भी कर रही हैं उसी में से एक है अट्टेरो (Attero )
साल 2018 तक दुनियाभर में 48.5 मिलियन टन ई-कचरा पैदा हो चुका है, जिसे देखकर संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि अगर आने वाले समय में कचरे से निपटने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो पूरी दुनिया में कचरे की सुनामी आ जाएगी। मौजूदा समय में विश्व स्तर पर सिर्फ 20 प्रतिशत कचरे को रीसाइकिल किया जा रहा है।
कैसे हुई शुरुवात :
साल 2007 में नितिन और रोहन अपने पुराने लैपटॉप के लिए किसी ऐसे रीसायकलर की तलाश कर रहे थे, जो ई-कचरे को पर्यावरण के अनुकूल हटाया करता हो। जब अपने आस-पास ऐसा कोई नहीं मिला, तो उन्होंने गूगल का सहारा लिया। लेकिन उन्हें वहां भी अपनी समस्या का समाधान नज़र नहीं आया। उन्हें लगा कि क्या लैपटॉप जैसे ई-कचरे से निपटने का एकमात्र साधन उन्हें जलाना ही है। वह इसके लिए पर्यावरण के अनुकूल कुछ रास्ते तलाश रहे थे।
नितिन और रोहन गुप्ता, लगातार कुछ महीनों तक रिसर्च करते रहे और जब उन्हें अपने आस-पास या दूर-दूर तक ऐसा कोई रीसायकलर नहीं मिला, तो उन्होंने इसके लिए अपनी खुद की एक प्रीमियम अटेरो रीसायक्लिंग कंपनी खड़ी कर दी। उनकी यह रीसायक्लिंग कंपनी, इलेक्ट्रॉनिक स्क्रैप जैसे टेलीविजन सेट, कंप्यूटर मॉनीटर, प्रिंटर, स्कैनर, कीबोर्ड, माइक, केबल, सर्किट बोर्ड, लैंप, कैलकुलेटर, फोन, आंसरिंग मशीन, डीवीडी जैसे कितने ही प्रॉडक्ट्स को वैज्ञानिक तरीके से रीसायकल कर उनका निपटारा कर रही है।
क्या है तकनीक :
उनकी यह तकनीक मकैनिकल और हाइड्रो मेट्रोलॉजिकल तकनीक का मिश्रण है, जो बेहद कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के साथ, ई-कचरे से 98 प्रतिशत तक धातु निकाल सकती है। इस तकनीक से सोना और चांदी के अलावा तांबा, टिन, एल्यूमीनियम लिथियम, कोबाल्ट, मैंगनीज और निकेल जैसी धातुओं को ई-कचरे से अलग कर निकाला जाता है
Li-ion Battery भी करते हैं Recycle:
समय के साथ आगे बढ़ते हुए दोनों फाउंडरनितिन और रोहनने e-waste इंडस्ट्री में बढ़ते हुए Opportunities को देखते हुएLi-ion बैटरीको किस तरह रीसायकल किया जा सकता हैं, इसके ऊपर भी बहुत रिसर्च करना शुरू कर दिया था। जिसके कारण कुछ समय बाद जब उनकी रिसर्च सफल हुई तो साल2019 में उन्होंने Li-ion बैटरीजको भी रीसायकल करना शुरू कर दिया था।E-Waste मेंLi-ion बैटरीजकी बहुत बड़ी मात्रा में Wastage होती हैं, और Attero के इसLi-ion बैटरीजके रीसायकल प्रोसेस के बाद अब Li-ion बैटरीज की मदद से कंपनी को एक अच्छा फायदा हो रहा हैं।
दोहरा मॉडल :
दरअसल, अटेरो रीसायकल दोहरा मॉडल है। एक तरफ वे ई-कचरा खरीदते हैं और दूसरी तरफ इस कचरे से निकली धातुओं को बेचकर पैसा कमाते हैं। कंपनी के पास सैमसंग, एसर, एलजी, व्हर्लपूल, गोदरेज, फ्लेक्सट्रॉनिक्स, वीवो, ओप्पो, रिलायंस जियो, एमजी मोटर्स और मारुति सुजुकी समेत कई प्रभावशाली ग्राहक हैं।
अट्टेरो (Attero ) सबसे जुदा :
एक और चीज़ है, जो अटेरो को बाकी सबसे अलग करती है और वह है- ऑन साइट विजिट। किसी भी कंपनी के साथ जुड़ने से पहले उन्हें प्लांट का दौरा करने और पर्यावरण में तकनीकी मूल्यांकन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। नितिन कहते हैं कि इससे न केवल हमारे पुराने ग्राहक हमारे साथ जुड़े रहते हैं, बल्कि हर महीने एक नया कस्टमर भी हमारे साथ जुड़ जाता है।